सफ़र अधूरा मत छोड़ो

01-04-2022

सफ़र अधूरा मत छोड़ो

देऊ जांगिड़ (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

सपने जो देखे थे तुमने, 
बीच राह में मत तो तोड़ो। 
 
माना कि मुश्किल है मंज़िल, 
यूँँ मंज़िल से मुँह ना मोड़ो। 
 
हाँ असफल हुए अनेकों बार फिर भी, 
कोशिश की कड़ी एक और जोड़ो। 
 
नामाकूल ख़्वाहिशें सिर्फ़ देती है तकलीफ़ें, 
तुम सफ़र अधूरा मत छोड़ो। 

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