बारिश का जादू

01-04-2022

बारिश का जादू

देऊ जांगिड़ (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

रिमझिम रिमझिम बारिश बरसे
कभी धूप में, कभी छाँव में
कभी शहर में, कभी गाँव में 
कभी रेत पर, कभी नाव में 
कभी हक़ीक़त, कभी ख़्वाब में 
 
यह बारिश का ही जादू है 
जो सबके मन को भाता है
मोठ, बाजरा, काचर, मतीरे से
खेत हरा भरा हो जाता है 
 
बारिश आई, बारिश आई 
नन्हे बच्चे गुनगुनाते हैं
मीठी-मीठी आवाज़ों में, 
पशु पक्षी भी गीत गाते हैं
 
चारों और हरियाली होगी, 
किसानों का दिल हर्षाता है
ख़ुशियों की बौछार हुई, 
यह बारिश का ही जादू है
जो सबके मन को भाता है
 
उदास मन पर बारिश हो, 
उम्मीद कि आस जगाता है
यह बारिश का ही जादू है, 
जो सबके मन को भाता है

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