सड़क

सौरभ मिश्रा (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

सड़क महज़ आने जाने भर का 
साधन नहींं
यह बाधा भी है
यह सीमा है
और एक औपचारिकता की
सुरक्षित पंक्ति भी
जब दो मन खड़े हों 
सड़क की दो पटरियों पर
 
विचारों के तेज़ क्रम सी
गुज़रती गाड़ियाँ
दुपहिया चारपहिया या साइकिल सवार
 
तुम्हें देखते ही
उस ओर, 
मन हिलोरें लेता है
क़दम हरकत करता है
की बदल ही ली जाए पटरी
फिर विचारों की नदी में
रुक जाते हैं हम दोनों के क़दम
 
महज़ डेढ़ मीटर की दूरी से
करते हुए दुआ सलामी
अपने अपने निज को सुरक्षित
रखते हुए
दाईं और बाईं पटरियों को थामे
खो जाते हैं 
अपनी अपनी व्यस्ततम दुनिया में। 

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