रुदन करता पेड़

01-04-2025

रुदन करता पेड़

डॉ. मुल्ला अदम अली (अंक: 274, अप्रैल प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैंंने पेड़ को रोते देखा
उसका सब कुछ खोते देखा। 
 
भुजा समान उसकी डाली को
उससे अलग होते देखा। 
 
सिसकी हर पत्ता भरता है
मुँह से आह! भी ना करता है। 
 
जड़ों से आँसू बहते हैं
दुख की कहानी कहते हैं। 
 
अब! तो छोड़ो हमें सताना
अब! ना मिलेगा मौसम सुहाना। 
 
अपने बच्चों के लिए मैंने, 
मानव को, दुख का बीज बोते देखा। 
 
हाँ! मैंने पेड़ को रोते देखा
उसका सब कुछ खोते देखा। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें