रखवाला काशी के
प्रियांशी मिश्रा
कालभैरवाष्टक (संस्कृत भाषा से अनूदित प्रार्थना)
अनुवादक: प्रियांशी मिश्रा
देवराज से सेवित ऋषिगणों से पूजित
धारण करें वो चंद्रमा, दयालु कहलाएँ
हैं भुजंग धारी, मैं उनकी शरण आई
बचाते मुझे हैं सब झंझावातों से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी के
जिनमें कोटि सूर्य की प्रभा व्याप्त है
जिनके भक्तों के जग में सब दुख समाप्त हैं
कमल-सा नयन, नीलकंठ अनंत वो,
त्रिनेत्र वाला, कल्पवृक्ष दयावंत वो
जिनके त्रिशूल पर टिकते तीनों लोक हैं
मनुष्यों को तारने में वो ही अमोघ हैं
मिलता जो माॅंगो उस मृत्युहारी से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी के
त्रिशूल, फँदा, कुल्हाड़ी हैं उनके हाथ में
बिगड़ी सँवारने वाली शक्ति उनके साथ में
जगत के हैं कारण कष्टों का कर निवारण
कैलाश सॅंवारें वो तांडवेश्वर भयहारी हैं
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी के
धारण किए उन्होंने, स्वर्ण के अलंकार
वो सुंदरेश्वर कहलाएँ नमन उन्हें बारंबार
हैं भक्ति-मुक्ति दायक, हैं भक्तों के सहायक
हैं सर्वलोकवासी, हैं सर्वसमृद्धि के दायक
स्वर्ण वर्ण की प्यारी-सी उनकी है किंकिणी
अपनी ध्वनियों से रचती कई मधु रागिणी
निज रूप दिखला तारें कलियुग मायावी से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी से।
आनंददाता हैं, वो हैं धर्म के रक्षक,
अन्याय न सहते, हैं अधर्म के भक्षक
जिनसे लिपटे हैं कंचनवर्ण शेषनाग ये
छुड़ाते हैं हमें जन्मों के कर्म पाश से
कहाँ तक लिखे गुण शिव अभिलाषी ये
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी से।
मणि रत्न बलिहारी मनोरमपदत्राण को
मृत्यु दर्प नाशी, हरें काल के भी प्राण को
नित्य अद्वितीय हैं, परिशुद्ध पूजनीय हैं
मस्त हैं वो जो गुहार लगाए उन भयहारी से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी से
हनुमंत-सा अट्टहास करते काली सी हुंकार
ब्रह्माकृत नश्वर जग को इक झटके में कँपाते
उनकी क्रोध भरी दृष्टि से पाप मुक्त होती सृष्टि
सिद्धि भी मिले जो माँगे मुंडमालधारी से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी से
पुरातन सनातन निज दिव्यरूप दिखाते हैं
दर्शन दे भक्तों के यूँ कष्ट हर लेते हैं
भूत संग रहते हैं, भेदभाव न करते हैं
पुण्य-पाप सबको बराबरी से देखते हैं
नीति युक्त चले जगत त्रिपुरासुरनाशी से
उस भैरव को नमन जो रखवाला काशी से
ज्ञान बुद्धि सिद्धि मुक्ति देने वाली यह स्तुति
गुण पुण्य बढ़ जाए जो जप ले हर की कीरति
जो पढ़े इस स्तोत्र को शांत भक्ति भाव से
मृत्योरांत लग जाए भैरव के पाँव-छाँव से
मिल जाए मोक्ष उसे सर्वविकारहारी से
कालभैरव को नमन जो रखवाला काशी से।