राधे ने जब

विशाल शुक्ल

 

राधे ने जब
बाबा की जेल का
चक्कर लगाया! 
तो आशा पर
पानी फिरते देख
बापू चकराया! 
 
बोले—
राधे! तुम माँ की तरह
बेशक बाबा पर
ममता लुटाओ! 
पर मैं उसका भी बाप हूँ
और तुम माँ हो
इस नाते कुछ तो प्रेम
मुझपे लुटाओ! 
 
वो बोली— 
जाने कौन से मुहूर्त में
पुलिस ने तुम्हें धरा है! 
अपने ही लोगों से
तुमने अब तक जेल भरा है! 
भगवान के लिए
मुझ पर रहम खाइये! 
अपनी पटरानी होने से
आप ही मुझे बचाइये! 
पटरानी बनकर
ना मैं जवां और ना माँ
रह पाऊँगी! 
क़ानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते
आपकी तरह जेल में
सड़ जाऊँगी! 

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