निर्णय 

15-05-2024

निर्णय 

विनोद दूबे (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

जब विकल्प नहीं हो जीवन में, 
अंतर्द्वंद्व चल रहा हो मन में, 
जब राह न कोई सूझ रही, 
इस क़द्र अँधेरा हो वन में, 
 
जब लगे कि दोनों ज़ाया है, 
दोनों में कुछ खोया पाया है, 
सही-गलत की उहापोह में, 
नाहक़ ही वक़्त गवाँया है, 
 
हर बात में कोई अर्थ लगे, 
सारी तरकीबें व्यर्थ लगें, 
निर्णय बड़ा ज़रूरी हो पर, 
ख़ुद में न इतनी सामर्थ्य लगे, 

आँखें मूँद उसे तुम याद करो, 
तुम! ईश्वर से संवाद करो, 
थोड़ी देर ठहर कर सोचो, 
अपनी ऊर्जा न यूँ बर्बाद करो, 
 
औरों की चिंता छोड़ वहीं, 
निर्णय होगा भीतर ही कहीं, 
फिर बढ़ जाना उस पथ पर, 
जो तुम्हारे दिल को लगे सही, 
 
छूटे पर मत पछताना तुम, 
निर्णय लेकर मत रोना तुम, 
ईश्वर के नाम समर्पित कर, 
बस चैन की नींद सोना तुम, 
 
कैसे भी निर्णय लोगे तुम, 
चुनने में मुश्किल होगी, 
पर मन का निर्णय लोगे तो, 
आगे की यात्रा ज़रा सरल होगी, 
 
नियति के आगे जीवन में, 
तुम्हारा चयन खड़ा नहीं होता, 
कोई भी कैसा भी निर्णय, 
जीवन से बड़ा नहीं होता। 

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