नारी शक्ति

01-05-2023

नारी शक्ति

कुंदन पाण्डेय (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

युग कोई भी आ जाए, क्यों नारी छली ही जाती है। 
कभी सिया कभी मीरा राधा, बन वह कष्ट उठाती है। 
 
अग्नि परीक्षा देकर भी, क्यों वन को भेजी जाती है। 
राजभोग में लिप्त प्रजा को, वैदेही नज़र न आती है
 
अब तो रघुवर आ जाओ, सीता का कष्ट मिटा जाओ। 
उस युग में ना सही मगर, इस युग में न्याय दिला जाओ। 
 
विरह कलह सौ बार सहन कर, हरगिज़ ना अकुलाती है। 
प्रचंड ज्वार, हर वार प्रहार को, खंडित करती जाती है। 
 
हर संकट जो सह पाये, फिर वह सीता बन जाती है!!

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