ऐ नारी

कुंदन पाण्डेय (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

मेरा विचार है ऐ नारी, 
अपना परचम लहराना तुम। 
 
पथ के इन कंकड़ पत्थर से, 
क्षण भर भी ना कतराना तुम। 
 
हर क़दम बढ़ाने से पहले, 
अपने सुविचार बढ़ाना तुम। 
  
मेरा विचार है ऐ नारी, 
अपना परचम लहराना तुम। 
 
कथनी करनी सब अपनी हो, 
सत मार्ग वही अपनाना तुम। 
 
कोई मिटा सके ना हल्के से, 
ऐसे निशान दे जाना तुम। 
 
मेरा विचार है ऐ नारी, 
अपना परचम लहराना तुम। 
 
अपनी ही करुण क्यारियों में, 
ख़ुद पुष्प सुमन बन जाना तुम। 
 
हिंसक पशुओं से बचने को, 
ख़ुद काँटे भी दिखलाना तुम। 
 
मेरा विचार है ऐ नारी, 
अपना परचम लहराना तुम। 

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