ऐ नारी
कुंदन पाण्डेय
मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।
पथ के इन कंकड़ पत्थर से,
क्षण भर भी ना कतराना तुम।
हर क़दम बढ़ाने से पहले,
अपने सुविचार बढ़ाना तुम।
मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।
कथनी करनी सब अपनी हो,
सत मार्ग वही अपनाना तुम।
कोई मिटा सके ना हल्के से,
ऐसे निशान दे जाना तुम।
मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।
अपनी ही करुण क्यारियों में,
ख़ुद पुष्प सुमन बन जाना तुम।
हिंसक पशुओं से बचने को,
ख़ुद काँटे भी दिखलाना तुम।
मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।