मेरी याद
डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानीरोज़ की तरह ही वह बूढ़ा व्यक्ति किताबों की दुकान पर आया, आज के सारे समाचार पत्र ख़रीदे और वहीं बाहर बैठ कर उन्हें एक-एक कर पढ़ने लगा, हर समाचार पत्र को पाँच-छः मिनट देखता फिर निराशा से रख देता।
आज दुकानदार के बेटे से रहा नहीं गया, उसने जिज्ञासावश उनसे पूछ लिया, "आप ये रोज़ क्या देखते हैं?"
"दो साल हो गए... अख़बार में मैं अपनी फोटो ढूँढ़ रहा हूँ....," बूढ़े व्यक्ति ने निराशा भरे स्वर में उत्तर दिया।
यह सुनकर दुकानदार के बेटे को हँसी आ गयी, उसने किसी तरह अपनी हँसी को रोका और व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा, "आपकी फोटो अख़बार में कहाँ छपेगी?"
"गुमशुदा की तलाश में...," कहते हुए उस बूढ़े ने अगला समाचार-पत्र उठा लिया।
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