मेरी छाया तले
मीनाक्षी झामेरी छाया तले भी हुए सब निहाल
नैहर हो मेरी या हो ससुराल
पर मेरे अंश में है गरल ही गरल
शंकर बनना भी क्या है इतना सरल
मंज़िल पास से तो गुज़र भी गए
पहचाना ना मुझको, न लगाया गले।
मेरी वाटिका में जो फूले फले
मंज़िल उन्हें तो बहा ले गई
चलो मेरा होना अकारथ न गया
सूखी डाली को भी वो हरा कर गया
मेरी छाया तले भी हुए सब निहाल
नैहर हो मेरी या हो ससुराल।