मतलब का गीत 

15-12-2024

मतलब का गीत 

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया ‘प्राण’ (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बल-विद्या क्या बुद्धि ठगी का, 
चलन पुराना नया नहीं है। 
मतलब की दुनिया में मतलब, 
मात्र स्वार्थ है हया नहीं है॥
 
पल-पल छलना धोखा खाना। 
पिंजरे में आकर फँस जाना॥
फिर मुश्किल बचकर जा पाना, 
कहीं सुरक्षित नहीं ठिकाना॥
 
तुम भी उड़ो पखेरू बचकर, 
बली बाज़ है बया नहीं है॥
 
असहनीय सी पीर दिखा लो। 
या रोती तस्वीर दिखा लो॥
कोई नहीं पसीजेगा तुम, 
बेशक छाती चीर दिखा लो। 
 
यह क्रूरों गाँव यहाँ पर, 
सिर्फ़ सजा है दया नहीं है॥
 
यहाँ भूलकर भी मत आना। 
शेष न होगा फिर पछताना॥
आने का मतलब है मतलब, 
मरने से पहले मर जाना॥
 
देख रहा हूँ यहांँ आदमी, 
आकर वापस गया नहीं है॥

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