मैं फिर लौटूँगा
डॉ. प्रेम कुमार
इन मेहराबों, गुम्बदों
ऊँची अट्टालिकाओं
और विशाल पहाड़ों को चीरकर
मैं फिर लौटूँगा
एक दिन
हवा
पानी
या,
परिन्दा बनकर
इन मेहराबों, गुम्बदों
ऊँची अट्टालिकाओं
और विशाल पहाड़ों को चीरकर
मैं फिर लौटूँगा
एक दिन
हवा
पानी
या,
परिन्दा बनकर