बेटी
डॉ. प्रेम कुमार
इक्कीसवीं सदी में भी घर की बेटी
बाँधी जा रही है जबरन
खूँटे से
प्रतिबंधित है उसको
बाहर की खुली हवा में
श्वास
और दोस्ती
छोटी उम्र में ही
चूल्हा-चौका करने
और माँजने को बरतन
फेंक दिया जाता है उनको
दूसरों के बाड़ों में
अब भी
हो रही हैं वे
कुरीतियों की शिकार