अमरत्व
डॉ. प्रेम कुमार
हम कूद पड़ेंगे एक दिन
तीस्ता के खौलते-उफनते भँवर में
और अपने पुरखों की भाँति
हो जायेंगे हम भी
अमरत्व को प्राप्त
लैला-मजनूँ
हीर-राँझा
शीरीं-फ़रहाद
की तरह
क्योंकि
प्रेम ही सर्वत्व है
प्रेम ही देवत्व है