लुट चुके हम तेरे प्यार में

01-11-2025

लुट चुके हम तेरे प्यार में

मनोज कुमार यकता (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

लुट चुके हम तेरे प्यार में, 
आज फिर शाम हुई सुरमई, 
जो नग्में थे सीने में उतर ही गए, 
काग़ज़ पे ये आ ही गए। 
 
तुम ख़्वाब हो या नींद हो कोई, 
जो उलझन में मेरे चुभन-सा लगे, 
अगर छू लूँ तुम्हें जितनी दफ़ा, 
पाऊँ मैं तुमको उतनी दफ़ा। 
 
मेरे कलेजे का ठंडा एहसास तुम, 
मेरे बरसों की चाहत की प्यास तुम, 
मेरे खिलते महकते बाग़ हो, 
मैं पेड़ हूँ तेरा तुम शाख़ हो। 
 
हमें इन्तज़ार है उस दिन का, 
जब तुम इश्क़ के नशे में होगी बाँहों में, 
सुहाना-सा मौसम होगा, 
याराना-सा सफ़र होगा, 
हम उगते सूरज की किरणें देखेंगे, 
साथ हमारे ज़मीं आसमाँ झूमेंगे। 

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