लॉकडाउन (डॉ. रानी कुमारी)
डॉ. रानी कुमारीशहर में
सन्नाटा पसरा है
गलियाँ, पार्क, दुकानें
सब वीरान...
इस चुप्पी को तोड़ती
पक्षियों की आवाज़..
एंबुलेंस और पुलिस की
गाड़ियों का सायरन..
ठंडी और साफ़
हवा का झोंका,
नीला आसमान,
कभी दिखाई न दिया
पर अब सब
साफ़ नज़र आता है...
अपनी ज़रूरतों को निकलते
एकाध लोग और कुछ बिगड़े नवाब
ऐसे समय में
किसी लड़की का
घर का सामान लेने आना
अखरता-चुभता लोगों को
सब बंद में
किसी जीती जागती
हट्टी-कट्टी लड़की को देखकर
आह भरना और
आँखों ही आँखों में
धराशायी कर देना
डर से कोसों दूर
लड़की भी..
इस वीराने में
लड़ती है इन ख़यालों से
चुभती नज़रों से
मन में डर भर रहा है..
और कुछ न कहकर
सन्नाटे को चीरती हुई
निकल जाती है
अपनी राह की तरफ़...