लाल होगा आसमान
मधुलिका मिश्रातूफ़ान है कोई,
जो उड़ा ले जाएगा बस्तियाँ भी,
अब सुधरने का है समय,
वरना मिट जाएँगी हस्तियाँ भी।
हैरान होगी कुदरत भी,
जब छर्रे ही रह जाएँगे,
और बाक़ी कुछ भी नहीं
तब ख़ुद को क्या जवाब दोगे
जब सच आएगा सामने,
ख़ुद से भी नज़र नहीं मिला पाओगे,
तो जन्नत क्या पाओगे?
1 टिप्पणियाँ
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21 Apr, 2019 07:03 AM
Very nice....