ख़ूबसूरती 

01-02-2025

ख़ूबसूरती 

डॉ. शबनम आलम (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

ख़ूबसूरती! 
सिर्फ़ शक्ल व सूरत
क़द व काठी में नहीं होती 
ख़ूबसूरती तो देखने वालों की
आँखों में होती है 
ख़ूबसूरत तो वो है
जिनसे बातें करना आसान हो 
जो बाँट ले, हमारी परेशानियों को 
मुश्किल वक़्त में जो साथ ना छोड़े 
जब हम किसी दर्द में हों तो
धीरे से अपना कंधा बढ़ा दे
ख़ूबसूरत तो वो है 
जो तुम्हारी आँखों में 
आँसू देना नहीं, पोंछना जानता हो
यक़ीनन, उससे ज़्यादा ख़ूबसूरत कोई नहीं! 

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