कहानी  यूँ  तो  पूरी लग रही है

01-10-2024

कहानी  यूँ  तो  पूरी लग रही है

वैभव 'बेख़बर' (अंक: 262, अक्टूबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 
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कहानी  यूँ  तो  पूरी लग रही है
तेरे बिन कुछ अधूरी लग रही है,
  
मुहब्बत में हुआ  बर्बाद  जीवन
मुहब्बत फिर ज़रूरी  लग रही है,
  
हमारी   ज़िंदगी   में ,  है  अँधेरा
फ़क़त  बाहर  से  नूरी  लग रही है,
 
ये शोहरत खींच लायी ज़िस्म  फिर भी
दिलों  के  बीच  दूरी  लग  रही  है,
 
तेरे  लहजे  में  फ़न की नाज़ुकी है
मगर  भाषा   ग़ुरूरी  लग  रही  है!
 

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