कठोर हाथों की कविता

16-03-2016

कठोर हाथों की कविता

आनंद कुमार

 

झूमती लहलहाती फ़सल
रंग-बिरंगें फूल और फल
कठोर हाथों की कविता हैं। 
 
चहुँ ओर फैले बहुमंज़िला भवन
चूमते जो गर्व से गगन
कठोर हाथों की कविता हैं। 
 
सीधे बलखाते रास्ते, राष्ट्र को देते जो गति
बनाते ख़ुशहाल जन जीवन, आधार जो प्रगति
कठोर हाथों की कविता हैं। 
 
आँधियों से लड़ने वाला दीया
पथिक की प्यास बुझाने वाला घड़ा
कठोर हाथों की कविता हैं। 

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