कहाँ हो तुम! 

15-05-2024

कहाँ हो तुम! 

दीपक कोहली (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

हे बद्री-केदार कहाँ हो तुम! 
तुम्हारी देवभूमि जल रही है। 
जंगलों के जानवर प्यास से मर रहे हैं। 
हज़ारों पक्षी आग की 
लपटों में राख हो चुके हैं। 
 
हे नंदा! हे सुनंदा! कहाँ हो तुम! 
पंचाचूली से लेकर दूनागिरी तक 
अग्नि धधक रही है। 
लाखों वृक्ष और पौधे 
जलकर ख़ाक हो चुके हैं। 
 
हे अलकनंदा . . .! हे भागीरथी . . .! 
अपनी जलधारा से 
इस देवभूमि को बचा लो। 
अब नहीं देखा जाता 
इसका दर्द और इसकी पीड़ा। 

-दीपक कोहली

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