हाँ, यह प्रेम!
डॉ. हिमाँशु कुकरेती
हाँ, यह प्रेम,
क्लांत सृष्टि का
शेष अंश।
हृदय के
गर्भ में छिपा,
मौन के
अधरों पर
थमा।
जन्मा उसी क्षण,
समय
जहाँ रुका।
उद्गमहीन,
अनंत,
शाश्वत।
हृदय के आवरण में,
निश्चल,
निर्मल,
अनवरत।