ग्रीष्म ऋतु
डॉ. पूर्वा शर्मा1.
लाडो धरा के
हाथ करता पीले
अमलतास।
2.
धरा की माँग
पूरी करे औ’ भरे
गुलमोहर।
3.
सोचता यही -
चूसूँ बर्फ़ का गोला,
स्वेदित रवि।
4.
सूर्य गु़स्साया
वसंत के जाते ही
तमतमाया।
5.
ग्रीष्म ने भरा
धरा का पल्लू हरा
केरी से लदा।
6.
पीले हो गए
आम, अमलतास
सूर्य भय से।
7.
महकी गली
श्वेत मोगरा कली
ग्रीष्म में खिली।
8.
धूल झोंकती
वसुधा की आँखों में
बैशाखी हवा।
9.
खीर-सा रूप
दूध जैसा मोगरा
केसरी धूप।
10.
माघ में लजा
जेठ में तपा, धूप
बदले अदा।
11.
ग्रीष्म में तपा
सिंदूरी गुलमोहर
शाख पे सजा ।
12.
झुलसे रूप
जब चिलचिलाएँ
ज्येष्ठ की धूप।
13.
जेठ में दौड़े
श्रमिक नंगे पाँव
दमड़ी जोड़े।
14.
गर्मी की आन
चुस्की, कुल्फ़ी औ’ आम
बच्चों की जान।