एकात्म के लिए
प्रो. पुष्पिता अवस्थीअधर चुप रहते हैं
आँखें खुली
पर
मौन।
आत्मा साधती है -
अलौकिक आत्म-संवाद
पर से एकात्म के लिए
सम्पूर्ण देह
पृथ्वी की तरह
सृष्टी करती है - प्रकृति का,
प्रकृति में,
प्रेम का
अनश्वर
और
अहर्निश।