डोनेशन 

01-10-2023

डोनेशन 

मीरा ठाकुर (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

घर में घुसते ही अरविंद का आलाप पुनः शुरू हो गया। अरविंद सीमा के घर में उसके काम-काज में सहायता करता है। साथ ही उसका मुँहलगा भी है। सबके घर की बातें करना उसकी आदत है। सीमा इसे चाहे या न चाहे सुनना ही पड़ता है। जब से उसे एक नया काम मिला है, वह वहाँ के गुण गाता ही रहता है। ‘उस मैडम के घर में यह है, उसके घर आज अमुक चीज़ आई इत्यादि। मैडम! आप को मालूम है वो टॉवर वाली मैडम बहुत अच्छी है। कितने लोगों को ट्यूशन पढ़ाती है। बहुत पैसा कमाता है वो मैडम (उसकी हिन्दी ऐसी ही है)। उसके घर में एक-एक लोकल (अरबी) बच्चा आता है, उनके घर और वो मैडम को एक घंटे का 200-200 दिरहम दे कर जाता है।’ यह तक़रीबन रोज़ का काम हो गया। उसके रोज़-रोज़ के इस प्रशंसालाप के लिए सीमा पक-सी जाती। बस रोज़ इधर–उधर की बातें अरविंद करता। उस समय उसकी आँखों में बड़ी हसरतें दिखाई देती। सीमा थोड़ी देर के लिए ख़ुद को बौना महसूस करने लगती। 

समय बीतता गया, अरविंद की बातें भी चलती रहीं। उसे भी अरविंद की बातों में अब कुछ–कुछ रस आने लगा था। घर में प्रवेश करते ही वह टॉवर वाली मैडम का गुणगान करने लगता। यह अब रोज़ की बात हो गयी थी। सीमा भी अब उसकी बातों से परिचित-सी हो गई थी। कभी कभार उसे स्वयं छेड़ देती कि आज क्या हुआ? 

एक दिन अरविंद ने बताया, “मैडम, गाँव में मेरे पिताजी एक शिव मंदिर बनवाने जा रहे हैं। आप कुछ डोनेशन देगा क्या?”

मैंने कहा, “क्यों नहीं! ज़रूर।”

उस दिन उसके जाते समय सीमा ने 50 दिरहम (करीब 1000 भारतीय रुपए) उसे पकड़ाए तो उसके चेहरे के भाव से ऐसा लगा कि वो ख़ुश नहीं है। पैसे लेकर वो बताने लगा, “वो टॉवर वाली मैडम भी डोनेशन देगी।” उसके स्वर में उत्साह का भाव था। उसे टॉवर वाली मैडम से बहुत आशा थी। उसका उत्साह देखकर सीमा को थोड़ी हीनता का अहसास हुआ। 

अगले दिन जैसे ही अरविंद घर में घुसा। वह बहुत ही ग़ुस्से में था। बाद में पता लगा कि आज टॉवर वाली मैडम ने उसे डोनेशन के पैसे दिए थे, उसी को लेकर वह काफ़ी ग़ुस्से में था। वह बड़बड़ा रहा था कि बड़ा लोगों का दिल नहीं होता है। वो बड़े कंजूस होते हैं, निर्दयी होते हैं। उन्हें धर्म और समाज की कोई चिंता नहीं होती। काफ़ी समय बाद पता चला कि टॉवर वाली मैडम ने उसे भारतीय मुद्रा में 25 रुपए डोनेशन में दिए थे। 

सीमा क्या कहती, बस उसका मुँह देखती रही। 

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