दिन का आगाज़
अमितोष मिश्रातेरी तस्वीर से हम दिन का आगाज़ करते हैं।
तू ख़ुद सोच हम तुझपे कितना नाज़ करते है॥
तेरे नाम का सज़दा तेरे नाम की ही दुआ।
क्यूँ हम आज कल ख़ुदा को नाराज़ करते हैं॥
चल सके तो चल साथ मेरे दुनिया की सैर को।
तेरे इश्क़ में हम हौसलों की परवाज़ रखते हैं॥
आ भी जाया करो वक़्त पे मिलने हमसे।
मोहब्बत के सिवाय भी हम कुछ कामकाज करते हैं॥
मिलता है मुझसे जो भी यही कहता है।
मियाँ इन दिनों आप शायराना अंदाज़ रखते हैं॥