देख कौन आ रहा है
प्रभात कुमारदेख कौन आ रहा है,
आँसुओं की सेज पर,
तिरंगा तन पर लिए,
शीश उठाए,
माटी की शान बन,
चला आ रहा है,
देख कौन आ रहा है।
गोलियों के बीच रह कर,
दुश्मनों को खींच कर,
वो चला आ रहा है,
देख कौन आ रहा है।
न इंतजार था, मौत का
न अपनों से बिछड़ने का ग़म,
देश पे जीना, देश पे मरना,
था जिसका करम
वो आ रहा है,
देख कौन आ रहा है।
न उठने वाले हाथ
भी उठ जाते हैं
सलामे-हिंद-के वास्ते
धर्म-जाति सब छोड़
सलाम कर जाते हैं
उस शहीद के वास्ते,
हर एक शहीद
ये पैग़ाम दे जाते हैं,
मादरे-वतन का नाम कर जाते हैं॥
1 टिप्पणियाँ
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वीर सपूतों को सलाम । मातृ भूमि को नमन। बहुत सुंदर । बहुत बधाई आपको