छोटी चिड़िया–08

01-09-2023

छोटी चिड़िया–08

डॉ. भारती सिंह  (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

आज मैं एक ऐसे स्कॉलर की कथा सामने रखूँगी जिसने कोरोना काल में बहुत अकेले और तपस्वी-सा त्यागमय जीवन जिया है जिसका परिणाम यह हुआ कि 2023 में उन्हें थाइलैंड से एक अवॉर्ड मिला। यह इस वर्ष के पाँच हाई प्रोफ़ाइल लोगों को आउटस्टैंडिग रिव्यूवर का अवाॅर्ड मिला है उसमें से ये भी एक थे। ये स्कॉलर उन पाँच हाई-प्रोफ़ाइल प्रोफ़ेसरर्स में सबसे कम उम्र के हैं। कोरोना काल में यह बी.टेक. के अंतिम वर्ष के छात्र थे जो उन दिनों बहुत परेशानी में रहे। 

आज कुछ दिनों के बाद छोटी चिड़िया पंजाब प्रांत की ओर उड़ चली। चौड़ी-चौड़ी सड़कों के किनारे दोनों तरफ़ तरतीब से हरियाली फैली हुई थी। चिड़िया कई दिनों के बाद बच्चों को घोंसले में छोड़ कर बाहर निकली थी अतएव, हरे-भरे खेत देखकर उसका मन प्रफुल्लित हो उठा। पंजाब प्रांत की तो बात ही निराली है। यह प्रांत समृद्धि से भरपूर है। इसका मुख्य कारण है कि यहाँ के लोग बहुत ही परिश्रमी हैं और दूसरी बात अपनी मेहनत के दम पर विदेशों में बसे हैं। वहाँ की आमदनी भी इनकी समृद्धि का कारण है। 

ऐन.एच. 1 पर चिड़िया ख़ुशी-ख़ुशी उड़ान भर रही थी कि उसी वक़्त उसकी दृष्टि सड़क के किनारे एक विश्वविद्यालय पर पड़ी, वह वहाँ उड़ती हुई अंदर चली गयी। विश्वविद्यालय में भी ख़ूब हरियाली फैली हुई थी और बहुत बड़ा परिसर था। बहुत कड़ी व्यवस्था थी। मुख्य द्वार पर चुस्त-दुरुस्त सुरक्षाकर्मी तैनात थे। पहचान पत्र की जाँच पड़ताल के बिना अंदर जाना बहुत कठिन था लेकिन चिड़िया के लिए अंदर पहुँचना बहुत आसान था। 

अंदर पहुँचते ही वहाँ की हरियाली ने चिड़िया का मन मोह लिया लेकिन चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, सड़कें वीरान थीं। थोड़ी दूर पर उसे प्रशासनिक ब्लॉक दिखायी दिया। आगे थोड़ी ही दूर पर माॅल था, उसके ठीक सामने मैनेजमेंट ब्लॉक था जो इस वक़्त बिल्कुल तन्हा था जबकि सामान्य स्थितियों में यहाँ बहुत चहल-पहल रहती है। यहीं प्रायः पंजाबी टीवी सिरियल की शूटिंग होती रहती है। इधर ही दाईं तरफ़ कला संकाय और और क़ानून संकाय भी है और लड़कियों के छात्रावास हैं और आगे फ़ैकल्टी आवास और वाइस चांसलर आवास भी। बाईं तरफ़ बहुत से दूसरे विभाग हैं। उसके आगे छात्रावास और इंजीनियरिंग विभाग भी। 

यहाँ के सभी छात्रावास बहुमंज़िला थे। उसे इतना सन्नाटा अच्छा नहीं लगा। कोई आवाज़ नहीं थी, बस गेट पर सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। छात्रावास बिल्कुल ख़ाली हो गया था, सभी अपने-अपने घर चले गए थे। बस, जो नहीं जा सकते थे वही रुके थे। एक-दो ब्लॉक में कोरोना फैला था। इसलिए पाबंदी अधिक थी। सभी शाॅप बंद थे, केवल एक मेस ही चल रहा था। उसमें भी कर्मचारियों में कोरोना फैलने के कारण सभी अवकाश पर थे। खाना मिलना बहुत कठिन था। अब चिड़िया को सभी तल पर भरपूर सन्नाटे के साम्राज्य का अनुभव होने लगा। फिर टहलते-टहलते उसे कुछ आहट महसूस होने लगी। यह किसी के क़दमों की आहट थी। अतएव आवाज़ की दिशा में वह टहलती हुई उसी तल के कॉरिडोर में बैठ गयी थी और उसने देखा कि कॉरिडोर में कुछ दाने बिखरे हुए थे, बाहर सफ़ाई के लिए कोई सफ़ाईकर्मी बहुत दिनों से नहीं आ रहा था। उसे लगा कि अंदर दरवाज़ा बंद था और कोई टहल रहा था तो वह ख़ुशी से चहचहाने लगी। उसने देखा कि उसकी आवाज़ से कमरे का दरवाज़ा तुरंत खुल गया और एक लड़का बाहर आ गया और उसने उसको बिस्किट के कुछ टुकड़े रख दिया और कमरे में वापस चला गया और वेट उठाने लगा जबकि वह बहुत दुबला-पतला और निराश लग रहा था लेकिन चिड़िया के आने से लड़का थोड़ा आशान्वित हो उठा था। उसमें एक नयी उम्मीद जगी . . . उसके तीनों रूममेट और सहपाठी भी महीनों पहले ही जा चुके थे, उसके मित्रों ने उसे भी बहुत समझाया कि उसे भी अपने घर चले जाना चाहिए लेकिन लड़का अपनी परीक्षा देकर ही घर जाना चाहता था यह लड़के का दृढ़ संकल्प था, अंतिम वर्ष था। घर दूर गोवा में था, उसके पिता ने उसे चेतावनी देते हुए उससे कहा था कि—“इधर मत आना, कोरोना फैल सकता है।” 

वार्डन लगातार दबाव डाल रहे थे कि—“मेस बंद होने वाला है अपने घर जाओ।” 

वार्डन महोदय ने लड़के के पिता को समझाया लेकिन कोई लाभ नहीं, उसकी माँ भी वर्किंग थीं लेकिन दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में थीं। वह अकेली थीं उनके पास भी संसाधनों का अभाव था। वह ऑनलाइन क्लासेज़ ले रही थीं, किन्हीं कारणों से उनका वेतन भी रुका हुआ था। अतएव लड़का बड़े ही कशमकश में और चिंताग्रस्त था। चिड़िया ने देखा लड़का पढ़ने लगा और मोबाइल में लगा हुआ था। वास्तव में वह उस दिन लैपटॉप पर पाँचवाँ रिसर्च पेपर लिख चुका था। थोड़ी देर में फोन का रिंग टोन बजने लगा और चिड़िया चौंक गयी, तभी लड़का संभवतः अपनी माँ से अपनी बातें साझा करने लगा था। शायद उसकी माँ उसको गोवा जाने कि हिदायत दे रही थीं। लड़का बहुत निराश था लेकिन चिड़िया ने महसूस किया कि कुछ लोग काॅरीडोर में आ रहे थे जिसमें एक वार्डन थे, सभी मास्क लगा रक्खे थे, लड़के ने भी झटपट मास्क लगा लिया। वार्डन ने आते ही उससे कहा कि—“मैं तुम्हें दिल्ली एयरपोर्ट तक विश्वविद्यालय की बस से भेजूँगा। तुम कल की टिकट ले लो, बचे हुए सभी स्टूडेंट्स को भेज रहा हूँ। आवश्यक सामान लेकर रात भर में पैकिंग कर लो और कमरा बंद कर मुझे ताली दे दो, बस जल्दी करो, अब विश्वविद्यालय बंद होने वाला है। मैं नियम का उल्लंघन नहीं कर सकता।” 

चिड़िया ने देखा कि वार्डन के जाते ही लड़का थोड़ी देर सोचता रहा फिर अपने सामान को आलमारी में बंद करने लगा और अपनी माँ को फोन लगाकर बता रहा था कि— “कल वह गोवा के लिए निकल रहा है, एयरपोर्ट तक बस जा रही है . . . आप अपना ध्यान दीजिए . . . मैं एयरपोर्ट पहुँच कर आपको फोन करूँगा।” 

चिड़िया ने देखा लड़के के चेहरे पर थोड़ी-सी चमक आ गयी थी। वह बहादुर है, वह लड़के की हिम्मत और लगन से ख़ुश होकर फिर से चहचहाने लगी थी क्योंकि कभी-कभी लोग इस तल पर खाना पहुँचाना भी भूल जाते थे तो लड़का भूखा ही रह जाता था लेकिन कभी किसी से कोई शिकायत नहीं करता था। इस ब्लॉक में इस लड़के के अलावा और कोई भी नहीं रहता था। चिड़िया यह सोच कर चहचहाने लगी कि वह अब अपने घर जाएगा और उसे भी अब अपने घर चलना चाहिए और उसे भी इस लड़के के संकल्प और इच्छा शक्ति को अपने प्यारे-प्यारे नन्हे-मुन्हें बच्चों से साझा करना चाहिए। कोरोना के वक़्त उसे मनुष्यों का दुख बहुत बड़ा लगा लेकिन इस दुख में भी मनुष्य को कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए। ऐसा सोचते-सोचते वह आसमान से बातें करने लगी। 

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