आज़ादी का अमृत महोत्सव

01-08-2022

आज़ादी का अमृत महोत्सव

डॉ. वंदना मुकेश (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

उस बार 
असुर भागे थे 
लेकर अमृत कलश। 
तब मोहिनी ने मोह कर
कलश लिया छीन। 
उन्हें किया श्री विहीन। 
  
तब से असुर भाग रहे हैं निरंतर
अमृत को पाने
और देवता कर रहे हैं रक्षा, अमृत सँभाले 
मानवता को जिलाने। 
सड़ाँध भरी कुछ परंपराओं से
आज़ादी दिलाने। 
  
आज
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर 
सत्य, प्रेम करुणा की अंजुलि बना 
अमृत छक कर पियेंगे। 
दिलों पर देकर दस्तक, 
भेद मिटाएँगे। 
धो कर मन के कलुष 
विश्व के आँगन में 
प्रसन्नता के दीप जलाएँगे 
वसुधैव कुटुंबकम को 
सजाएँगे सँवारेंगे 
स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव 
हर दिन मनाएँगे। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें