कच्चा पक्का मकान था अपना
चाँद शुक्ला 'हदियाबादी'कच्चा पक्का मकान था अपना
फिर भी कुछ तो निशान था अपना
मैं था और साथ मेरी तन्हाई
सिर्फ़ माज़ी था दरमियान अपना
तुम भी थे साथ और ज़माना भी
एक कड़ा इम्तिहान था अपना
क्यों न उसको पुकारता या रब
सूना सूना जहान था अपना
"चाँद" था और ख़ला की वीरानी
एक फ़क़त आस्मान था अपना
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