हर तरफ़, हर जगह बिखरे

03-03-2009

हर तरफ़, हर जगह बिखरे

अमितोष मिश्रा

हर तरफ़, हर जगह बिखरे। 
तेरे ही अंदाज़, तेरे ही नख़रे॥
 
हवायें ख़ुदबख़ुद बता देती हैं तेरा पता। 
तू जहाँ रहे, तू जहाँ से गुज़रे॥
 
ख़ूबसूरत है वो इतना कि क्या कहें हम। 
फूल शरमा जाए, चाँदनी झुका ले नज़रें॥
 
तितली बादल फूल परिंदे, सब अच्छे हैं लेकिन। 
किस में है दम, कौन तेरे आगे ठहरे॥
 
सादगी पे तेरी दिल दिया है वरना। 
हमने भी देखे हैं ज़ालिम, कई हसीन चेहरे॥

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