तू कहे तो...
मधुलिका मिश्रातू अगर आग है,
मैं तुझमें जल जाऊँ।
है तू समुंदर तो,
नदिया बन तुझमें समाऊँ
मैं रेत बन कभी,
तुम्हें छू जाऊँ
तो कभी लहर बन कर,
तेरे दर तक आऊँ।
हर लम्हे को जी लूँ
तेरी हो के ज़िन्दगी बिताऊँ॥
5 टिप्पणियाँ
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Good one
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Wahh Bahut Sunder Madhulika Ji
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❤ नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही❤ ktariya
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Bahut sunder kavita
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अत्यंत सुंदर कविता।