सवाल देश मान का!

01-01-2020

सवाल देश मान का!

ज्योत्स्ना 'प्रदीप' (अंक: 147, जनवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

(प्रमाणिका छंद)
प्रमाणिका(ज र ल ग )
ज़रा लगा प्रमाणिका 
प्रमाणिका =प्रमाणिका
चार पंक्तियाँ -।ऽ। ऽ। ‍ऽ। ऽ
दो दो पंक्तियों में तुकान्त।


चलो -चलो रुको नहीं।
कभी नहीं झुको नहीं॥
उमंग है तरंग है।
उछाह अंग -अंग है॥

 

हिया बना चिराग है।
बड़ी अजीब आग है॥
नहीं कभी हताश हो।
सुदूर भी प्रकाश हो॥

 

सलीम या दिनेश है।
अनेक वेश,भेष है॥
मिले सभी गले चलो।
नहीं छलो बढ़े चलो॥

 

पुकार प्रीत की सुनो।
न फूल,शूल को चुनो॥
न वेदना,न पीर हो।
हिया नहीं अधीर हो॥


न द्वेष,लोभ,क्रोध हो।
न जात का विरोध हो॥
 सवाल देश आन का। 
 सवाल देश मान का॥

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