मोहब्बत

04-08-2014

तुम अपने हाथों की मेहँदी में 
मेरा नाम लिखती थी और 
मैं अपनी नज़्मों में तुझे पुकारता था जानां;

लेकिन मोहब्बत की बाते अक्सर किताबी होती हैं 
जिनके अक्षर 
वक़्त की आग में जल जाते हैं 
किस्मत की दरिया में बह जाते हैं;

तेरे हाथों की मेंहदी से मेरा नाम मिट गया 
लेकिन मुझे तेरी मोहब्बत की क़सम, 
मैं अपने नज़्मों से तुझे जाने न दूँगा...

ये मेरी मोहब्बत है जानां !!

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