मेरे हमदम मेरे दोस्त 

01-10-2019

मेरे हमदम मेरे दोस्त 

अनुपमा रस्तोगी

(कुछ प्यारे पारिवारिक दोस्तों के लिए)

 

कॉलेज और शादी के बाद
दोस्त कुछ कम से हो गए,
या यूँ कहे सब अपनी ज़िन्दगी 
मे व्यस्त हो गए।

 

बच्चे और नौकरी, चाकरी 
दिन भर की भाग दौड़ के बाद,
चाह कर भी न मिला समय
और न कर पाए याद।

 

फिर नए सिरे से जान पहचान हुई
बच्चों के पेरेंट्स, ऑफ़िस के साथियों
या पड़ोसियों से मुलाक़ात शुरू हुई।

 

लोग मिलते जुलते रहे
कुछ आते, कुछ जाते रहे,
समय के साथ कुछ लोग
दोस्त और फिर परिवार बन गए।

 

एक ऐसा अनोखा परिवार
जो हमेशा सुख दुःख में साथ है,
ख़ून से भी मज़बूत
यहाँ दिलों का अटूट रिश्ता है।

 

समय के साथ बीते यह अनमोल ढेरों पल
बना गए जीवन को और भी मधुर चंचल,
हर रंग अनूठा है हर साथ क़ीमती
हमेशा सलामत रहे हमारी दोस्ती।

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