मन का मन से भिड़ जाना
अवनीश कुमारमन का मन से भिड़ जाना
अक़्सर होता है
मन की लड़ाई में
पहले गिनायी जाती हैं
ग़लतियाँ
फिर लम्बी जद्दोजेहद
इसके बाद होता है
फ़ैसला
अगर फ़ैसला एकतरफ़ा हो
तो थोड़े समय ही
क़ायम रहता
फिर दुबारा शुरू होती
वही लड़ाई,
वही बहस
और दुबारा ढूँढ़ा जाता
कोई उपयुक्त परिणाम
जिस पर सहमति हो।