जब तक चले ये ज़िंदगी चलते रहो
भावना भट्टजब तक चले ये ज़िंदगी चलते रहो,
ना हारना तुम हौसला बढ़ते रहो।
सूरज ढलेगा तो खिलेगी चांदनी,
नभ के सितारों की तरह खिलते रहो।
दामन सदा तुम आस का थामे चलो,
स्वीकार कर सबका सदा हँसते रहो।
कई मोड़ आएँगे सफ़र के दरमियाँ
संतुलन रखकर मगर चलते रहो।
आशीष होगा साथ में जब ईश का,
मंज़िल मिलेगी निश्चये बहते रहो।