ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
बरसों जो इरादे किए थे मैंने
और जो ख़ुद से किये थे मैंने
वो वादे निभाने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
वो रास्ते और वो मरहले
वो चौराहे और वो फ़ासले
पैरों से अपने रोंदने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
कुछ अपने, कुछ पराये से
बिखर गए थे मेरे घोंसले से
वो तिनके समेटने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
बनेंगे कुछ नए और पुराने होंगे साथ
जिनको लेकर चलना होगा साथ
वो तमाम रिश्ते निभाने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
याद है वो भूली सी कहानी भी
और साथ है वक़्त की रवानी भी
क़दम ब क़दम चलने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
सजदा है, ए शहर, तेरे लिए
फैला दे बाँहें अपनी मेरे लिए
देख, तुझको जीने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं