ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

15-05-2020

ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ (अंक: 156, मई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

 

बरसों जो इरादे किए थे मैंने
और जो ख़ुद से किये थे मैंने  
वो वादे निभाने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं


वो रास्ते और वो मरहले 
वो चौराहे और वो फ़ासले
पैरों से अपने रोंदने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं


कुछ अपने, कुछ पराये से
बिखर गए थे मेरे घोंसले से   
वो तिनके समेटने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

 

बनेंगे कुछ नए और पुराने होंगे साथ  
जिनको लेकर चलना होगा साथ    
वो तमाम रिश्ते निभाने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

 
याद है वो भूली सी कहानी भी   
और साथ है वक़्त की रवानी भी     
क़दम ब क़दम चलने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

 
सजदा है, ए शहर, तेरे लिए
फैला दे बाँहें अपनी मेरे लिए
देख, तुझको जीने आया हूँ मैं 
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

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