दस्तक (ज्योत्स्ना ’प्रदीप’)

29-04-2014

दस्तक (ज्योत्स्ना ’प्रदीप’)

ज्योत्स्ना 'प्रदीप'

बड़ा अजीब
यह शहर लगता है
यहाँ तो लोगों को
दरवाज़ों की दस्तकों से भी
डर लगता है!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें