आईना

रीता मिश्रा तिवारी (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मैंने तुमसे कभी कहा कि तुम..
आओ और आईना दिखा जाओ और..
कहो कि आईना कभी झूठ नहीं बोलता..
पता है मुझे..
आईना चेहरे की सुंदरता ही नहीं..
दिल में छुपी दास्तां भी ब्यां करता है..
कई चेहरों से रू-ब-रू कराता है..
आँखों में जो झलकता है वही..
आईना भी कहता है..
डर जाते हैं लोग आईना देखते ही..
तो मैंने कब कहा था कि कह ही दो..
जो ज़ुबां नहीं कहती वो आँखें बोल जाती हैं..
आईने की ज़रूरत नहीं लबों की..
थरथराहट बताती हैं..
कहना चाहो तो कह दो वरना..
मैंने कब कहा था कि चुप ही रहो!!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें