चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

21 Sep, 2024

चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

 

गाडरवारा की भूमि साहित्य की रत्नगर्भा भूमि है—श्रीमती स्थापक 

 

महाराणा प्रताप कॉलेज के ऑडिटोरियम में चेतना साहित्य मंच के बैनर तले वरिष्ठ साहित्यकार द्वय सुशील शर्मा की चार और नरेंद्र श्रीवास्तव की पाँच पुस्तकों का विमोचन संपन्न हुआ। 

पूर्व विधायक श्रीमती साधना स्थापक और नगर पालिका अध्यक्ष शिवाकांत मिश्रा के मुख्याथित्य, कुशलेंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवम मुकेश जैन, महंत बालकदास व मिनेंद्र डागा के सारस्वत आथित्य में सरस्वती पूजन के उपरांत विमोचन समारोह प्रारंभ हुआ। 

सर्वप्रथम नरेंद्र श्रीवास्तव की पाँच पुस्तकों ‘रास्ते तो हैं’, ‘शाबाश’, ‘होनहार अवि’, ‘बात पते की’ और ‘अभी उम्मीद है’ का विमोचन संपन्न हुआ। उसके पश्चात सुशील शर्मा की ‘हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति’, ‘लोक साहित्य एवम पर्यावरण’, ‘हैलो ज़िन्दगी’ और ‘आधुनिक बुद्ध ओशो’ नामक पुस्तकों का विमोचन हुआ। 

साहित्यकार नरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तकों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बच्चों के लिए बहुत कम साहित्य लिखा जा रहा है आज ज़रूरत है कि बच्चों को ऐसा साहित्य पढ़ने को मिले जिससे उनके अंदर संस्कारों का निर्माण हो। 

सुशील शर्मा ने कहा साहित्य मनुष्यता की अभिव्यक्ति है, साहित्य के माध्यम से हम अतीत से अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं वर्तमान को समझ सकते हैं और भविष्य को आकार दे सकते हैं। 

चेतना मंच के संरक्षक मिनेंद्र डागा ने दोनों साहित्यकारों को समाज का प्रहरी निरूपित किया उन्होंने कहा साहित्य से समाज में जागरूकता आती है। 

समाजसेवी मुकेश जैन ने दोनों रचनाकारों के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका साहित्य पढ़ने से हमारी नई पीढ़ी में संस्कारों का सृजन होगा। 

महंत बालक दास ने ओशो पर किताब लिखने पर सुशील शर्मा को बधाई दी उन्होंने कहा ओशो के विचार हमें वास्तविक जीवन से परिचय कराते हैं। 

नगरपालिका अध्यक्ष पंडित शिवाकांत मिश्रा ने कहा कि इस सम्पूर्ण सृष्टि के वास्तुकार साहित्यकार और शिक्षक होते हैं यही समाज में जागृति पैदा कर समाज और देश को ऊर्जावान बनाते हैं। 

श्रीमती साधना स्थापक ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस संसार में सब कुछ मिट जाता है सिर्फ़ साहित्यकार के शब्द कालजयी होते हैं, साहित्यकार संस्कृति के दूत होते हैं उनके शब्दों और भावों से समाज में सृजन क्रांति आती है। 

वरिष्ठ साहित्यकार कुशलेंद्र श्रीवास्तव ने वर्तमान पीढ़ी में मरती संवेदनाओं के प्रति गहन चिंता व्यक्ति की उन्होंने कहा कि इस भटकती पीढ़ी को कोई सही दिशा दे सकता है तो वह सिर्फ़ साहित्य ही है। 

चेतना साहित्य मंच की ओर से दोनों साहित्यकारों को शाल श्रीफल और सम्मानपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। 

इस अवसर पर ताई क्वांडो के राष्ट्रीय कोच गिरिराज किशोर भट्ट सहित नेशनल खिलाड़ियों और रेफरी, यूसीमास के राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता के विजेता छात्रों, हिंदी की सेवा करने वाले शिक्षिकाओं श्रीमती निर्मला पाराशर, श्रीमती स्वाति चौहान, श्रीमती शिवा ताम्रकार और श्रीमती भागवती मेहरा को विशिष्ट चेतना सम्मान से सम्मानित किया गया। यूसीमास के संचालक नवीन चौबे द्वारा गणितीय विधा और गिरिराज किशोर भट्ट द्वारा ताइकोंडो विधा पर जानकारी दी गई॥

कार्यक्रम का सफल संचालन विजय नामदेव ‘बेशर्म’ ने किया एवम आभार प्रदर्शन नागेंद्र त्रिपाठी द्वारा किया गया। 

इस अवसर पर महेश अधरूज, संदीप स्थापक, वेणिशंकर पटेल, मलखान मेहरा, तरुण, शिरीष पाटकर, सूर्यकांत मेहरा, ब्रजेश पांडेय, तुलसीकांत, लक्ष्मीकांत, अनुपम ढिमोले, राजेश बरसैयां मोहरकांत गूजर, डॉ. मंजुला शर्मा, अर्चना शर्मा, निर्मला पाराशर, आशीष राय, प्रदीप बिजपुरिया, ब्रजेश आदि ने दोनों साहित्यकारों का सम्मान किया। कार्यक्रम में नगर की विभिन्न संस्थाओं के प्रबुद्धजन शामिल हुए। 

चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह