‘अनुभूति सम्मान’ से विभूषित हुए उदय प्रताप सिंह

22 Dec, 2021
‘अनुभूति सम्मान’ से विभूषित हुए उदय प्रताप सिंह

‘अनुभूति सम्मान’ से विभूषित हुए उदय प्रताप सिंह

सुप्रसिद्ध कवि एवं राजनेता श्री उदय प्रताप सिंह, लखनऊ को वर्ष 2021 के ‘अनुभूति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। चेन्नै महानगर के डी.जी. वैष्णव कॉलेज के सभागार में रविवार, 19 दिसम्बर 2021 को ‘अनुभूति’ संस्था द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में हिंदी साहित्य प्रेमियों संग ‘अनुभूति’ के सदस्य भी अपने परिजनों व इष्ट मित्रों सहित भारी संख्या में उपस्थित थे। हिंदी साहित्य में अप्रतिम योगदान के लिए प्रतिवर्ष यह सम्मान हिंदी कवि को प्रदान किया जाता है। गोपालदास नीरज, बालकवि बैरागी, माया गोविंद, अशोक चक्रधर जैसे कीर्ति-स्तंभ इस सम्मान से विभूषित किए जा चुके हैं। 

उदय प्रताप सिंह का स्वागत कर अनुभूति के अध्यक्ष श्री रमेश गुप्त नीरद ने सम्मान-पत्र एवं अंगवस्त्रम् से सम्मानित किया व कोषाध्यक्ष श्री विकास सुराणा ने सम्मान राशि प्रदान की। ‘हिंदीतर प्रदेश के साहित्यिक समाज की भावनाओं का प्रतीक है यह सम्मान’ अध्यक्षीय उद्बोधन में रमेश गुप्त नीरद ने ये विचार प्रकट किए और यह भी कहा कि तमिलनाडु के सृजनकारों के लिए भी एक सम्मान प्रारंभ किया जाना चाहिए। इस अवसर पर श्री उदय प्रताप सिंह के कर-कमलों से महासचिव श्रीमती शोभा चौरडिया की पुस्तक ‘भावों की पुड़िया’ का भी लोकार्पण हुआ। 

पुनश्‍च: सहज-सरल अंदाज़ में दिल को गहरे छूने वाले भावों की उत्कृष्ट रचनाएँ सुनाकर उदय प्रताप सिंह जी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोकतंत्र के प्रहरी जनता जनार्दन को सुप्तावस्था से अपनी कविता के शब्दों से इस प्रकार जगाया कि ‘जाग कर बैठो, तुम हो पहरेदार चमन के’, ’न तेरा है न मेरा है, हिंदुस्तान ये सबका है’, ‘ज़िंदगी सिद्धांत की सीमाओं में बँधती नहीं, यह वह पूँजी है जो व्यय से बढ़ती है, घटती नहीं’, ’गंध उपवन की विरासत है इसे संचित न कर, बाँटने के सुख से अपने आप को वंचित न कर’, ’ऊँचे ऊँचे शिखरों के ऊँचे ऊँचे दावेदार, ज्यों नहीं हुए तो सोच मन में न लाइए’, ’सुख दुख तो भावों के भ्रम हैं, मन के माने से होते हैं’, ’जब प्यार मिल गया तो सभी रत्न मिल गए’, ’तिनके से काल के प्रवाह में विलीन हुए, शैल से अखंड अभिमानी वे कहाँ गए’, ’काश पक्षी होना मेरे अधिकार में होता’, ’अलस्सुबह मेरे आँगन में आकर चिड़िया बैठ गई’, ’दुख में भी मेरे साथ-साथ गीत गाती रही चाँदनी’ जैसे जीवन जीने की कला एवं समाधान से ओतप्रोत छंदों व ग़ज़लों को सुनाकर उदय प्रताप सिंह ने काव्य प्रेमियों की ख़ूब वाह-वाही लूटी। उदय प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि ‘कवि जनता का जन्मजात प्रतिनिधि होता है, इसलिए जनता के दुख दर्द की बात करता है। कविता केवल मनोरंजन ही नहीं, समस्या का समाधान भी होती है।’

‘अनुभूति सम्मान’ समारोह के चैयरमेन श्री गोविंद मूँदड़ा के कुशल एवं सुचारु संयोजन से कार्यक्रम सफल व शानदार रहा। श्रीमती शकुंतला करनानी द्वारा की गई प्रार्थना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ व समापन राष्ट्रगान से हुआ। महासचिव श्रीमती शोभा चौरडिया ने कार्यक्रम का संचालन किया व सचिव डॉ। सुनीता जाजोदिया ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उपाध्यक्ष श्री विजय गोयल सहित कार्यकारिणी समिति के अन्य सदस्य भी समारोह में उपस्थित थे।