
अभिषेक मिश्रा
जन्म: 2003, चकिया, बैरिया, बलिया (उत्तर प्रदेश), भारत
शिक्षा: स्नातकोत्तर (एम। कॉम), सतीश चन्द्र कॉलेज, बलिया
पेशा: कवि, लेखक, आलोचक
विधा: कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, गीत
प्रमुख कृतियाँ:
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मंज़िल
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माँ: एक जीवन गाथा
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पिता की परछाईं
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पुरुष सशक्तिकरण की पुकार
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ऑपरेशन सिंदूर: एक सशक्त उत्तर
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धरती की अनकही दास्तां
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बचपन की वो यादें
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मैं पंछी तेरे आँगन की
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दहेज़ की मंडी में बिकता बाप
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गाँव से ग्लोबल तक
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बेरोज़गार चालीसा
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एक वर्दी, हज़ार कहानियाँ
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एक राष्ट्र, एक चुनाव–नई दिशा, नया सफ़र
प्रकाशन:
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वर्ष 2025 में प्रकाशित उपन्यास डिजिटल डिप्रेशन: एक नई महामारी
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10 से अधिक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय एंथोलॉजी में रचनाएँ सम्मिलित।
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अमर उजाला सहित अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।
रचनात्मक दृष्टि:
अभिषेक मिश्रा मानते हैं कि साहित्य केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि “समाज का दर्पण और परिवर्तन की प्रेरणा” है। उनकी क़लम कभी पिता के आँसुओं में डूब जाती है, कभी बेटी के सपनों में उड़ान भरती है, कभी किसानों और मज़दूरों की आवाज़ बनती है, तो कभी सैनिकों की शहादत का गीत गाती है। उनकी कविताएँ और रचनाएँ “आँसुओं की संवेदना, सपनों की उड़ान और समाज की सच्चाई” का संगम हैं, जो पाठक के दिल और मन पर सीधे असर डालती हैं।
हर दौर में एक आवाज़ होती है, जो भीड़ से अलग सुनाई देती है।
हर पीढ़ी में एक क़लम होती है, जो समय की धड़कनों को लिख देती है।
आज के हिंदी साहित्य में वह क़लम है— अभिषेक मिश्रा।