यहाँ उनका भी दिल जोड़ दो

15-11-2022

यहाँ उनका भी दिल जोड़ दो

शिवराज आनंद (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जिनके दिल टूटे हैं चलते क़दम थमें हैं, 
वो जीना जानते हैं। 
ना ज़ख़्मों को सीना जानते हैं॥
तुम उन्हें भी अपना लो। 
प्यारे तुम मेरी बात मान,
विश्व बंधुत्व का भाव लेकर, 
जन-जन से बैर भाव छोड़ दो। 
“यहाँ उनका भी दिल जोड़ दो॥” 
 
हम सब के ओ प्यारे, 
किस क़द्र हैं दूर किनारे। 
जीत की भी 
क्या आस रखते हैं मन मारे? 
ये मन मैले नहीं निर्मल हैं, 
सबल न सही निर्बल हैं, 
समझते हैं हम जिन्हें नीचे हैं, 
वे क़दम दो क़दम ही पीछे हैं, 
जो हिला दे उन्हें ऐसी आँधी का रुख़ मोड़ दो। 
यहाँ उनका भी दिल जोड़ दो॥
 
दिल बिना क्या यह महफ़िल है, 
क्या जीने के सपने हैं, 
बेगाना कोई नहीं सब अपने हैं। 
ये सब मन के अनुभव हैं, 
नहीं हूँ अभी वो, पहले मैं था जो, 
सुना था मैंने मरना ही दुखद है, 
पर देखा लालसाओं के साथ जीना, 
महादुखद है। 
फिर क्या है सुख? 
क्या जीवन सार? 
सुख है सब के हितार्थ में, 
जीवन-सार है अपनत्व में, 
ऐसा अपनत्व जो एक दूजे का दिल जोड़ दे। 
कोई गुमनाम न हो नाम जोड़ दे॥
 
वरना सब असार है चोला, 
सब राम रोला भई सब राम रोला॥

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