वो हँसता अपनी मुश्किलों पे यूँ
समितिञ्जय शुक्लवो हँसता अपनी मुश्किलों पे यूँ
कि शर्मा देता –
देखने वालों को
उस पर हँसने वालों को
उस पर आस रखने वालों को
एहसान डालने वालों को,
हिसाब माँगने वाले लोगों को,
हर सामने वाले को,
छिपे, मरे गड़े, उसे हर जानने वाले को,
स्वयं को भी!