यू.एस. आनन्द दोहे - 1
डॉ. यू. एस. आनन्दऐसा कुछ मत कीजिए, जिससे बढ़े तनाव।
सबको अपना मान कर, फैलाएँ सद्भाव॥
जप-तप, पूजा-पाठ से, मिटे नहीं संताप।
अनुरागी हो मन यदि, धुल जाए सब पाप॥
सद्भा-वों से फैलता, भाईचारा प्यार।
कदम बढ़ाकर देख लो, लोग सभी तैयार॥
सहज, सरल हो ज़िन्दगी, मन में उच्च विचार।
मुट्ठी में हो जाएगा, यह सारा संसार॥
लुप्त हो गई आजकल, होठों से मुस्कान।
ऐसा लगता आदमी, जैसे हो बेजान॥
दुर्लभ हो गए आजकल, अच्छे-सच्चे लोग।
मिल जाएँ तो मान लो, इसे सुखद संयोग॥
गुज़र गई यह ज़िन्दगी, मिटी न मन की प्यास।
स्वप्न देखते रह गए, हुई न पूरी आस॥
क्या सोचा, क्या हो गया, टूट गए हर ख्वाब।
सबके सब अच्छे रहे, हम ही हुए खराब॥
अपना जिसको मानकर, दिया अमित सम्मान।
संकट के क्षण में वही, बना रहा अनजान॥
1 टिप्पणियाँ
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Please tell me dohe from य , न , ग एंड थ also it should be small