तलाश आत्मा की

03-05-2012

तलाश आत्मा की

मुरारी गुप्ता

तुम्हारी आँखें
किसी लड़की में
देह, रंगत, कमनीयता
या कुछ और भी
शायद वासना? 
 
यूँ ही तो देखते रहे हैं
ज़माने से उन्हें
इसी नज़र से। 
 
कभी कोशिश नहीं की
या ज़रूरत नहीं समझी
उनके देह पिंजर के भीतर
ख़ूबसूरत आत्मा
तलाशने की
उनकी मन की आँखों से
नज़रें मिलाने की
उनकी भावुक अतृप्ति को
तृप्त करने की। 
 
देह की सीमा रेखा को
लाँघा ही नहीं गया
उलझे रहे वहीं कहीं
आस-पास
उतरते कभी उस पार
तो नज़र आती
एक प्यारी सी माँ
हमकदम सी दोस्त
या मासूम सी बेटी। 
 
इनके अलावा भी है
एक रिश्ता
आत्मा का
बहुत पवित्रता चाहिए मगर
इसे निबाहने में
निभा पाओगे? 

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