ताने

प्रमोद कुमार साहू (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

लोगों के सब ताने सुन, 
वो राह अपनी छोड़ आया। 
चुना था जो पथ जटिल, 
उस पथ पर मोड़ आया। 
 
विपदा भारी थी नहीं, 
बस ताने, उसको झुका डाला। 
चाहा था जो पुष्प शान का, 
वो चप्पलों से गुथा डाला। 
 
अब मरने के लिए जीना, 
जीने की कोई चाह नहीं। 
उच्च गिरि से भू पर गिरा, 
उठकर भी कोई राह नहीं। 
  
ताने-वाने चित्ते छिले, 
विराम दो इस भाषा को। 
वाणी निर्मल वाद मीठे, 
हिय प्रिय वाद श्याम सो। 

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