सुन लो करुण पुकार
श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'माना पशु हैं हम मगर, हम में भी हैं प्राण।
हमें मार इंसानियत, का दे दिया प्रमाण॥
हमें जानवर जान कर, किया पेट पर वार।
किन्तु जानवर कौन है, कर लो स्वयं विचार॥
एक अजन्मे जीव की, सुन लो ज़रा कराह।
संग तड़प कर मर रहा, मेरा भी शिशु आह!!
सज़ा मौत की है मिली, जो बिल्कुल निर्दोष।
जो था जन्मा ही नहीं, उसका क्या था दोष?
नीचे का क़ानून यदि, करे भले ही माफ़।
लेकिन अब तो होएगा, ऊपर ही इंसाफ़॥